मुझे पसंद नही श्रृंगार, सिर्फ उस श्रृंगार के अलावा, बिंदी ,साड़ी, सिन्दूर जिसमे आप सजी।
मुझे पसंद नही टूटे हुए फूल , सिर्फ उन कलियों के अलावा, जो आपके बालों में लगी ।
मुझे अच्छा नही लगता किसी का दर्द, सिर्फ उस दर्द के अलावा, जिससे आपसे मैं जन्मी ।
मुझे पसंद नही विदाई ,सिर्फ उस विदाई के अलावा ,जिससे मुझे आप मिली ।
कहते है ,किसी देश की सम्पन्नता वहाँ की महिलाओं की सम्पन्नता में झलकती है।
पर खुद असम्पन्न रहकर अपने बच्चो को आगे बढ़ाने की खूबी भी तो उन्ही में बसती है।
मुझे कहा पसंद है ,बडी दुकानों से शौक पूरे करना
मेरी छवि तो, आपके हाथों से बने कपड़ो में ही जचती है ।
उस कलाकार को प्रणाम, जिसने एक आत्मा के आस-पास शरीर गढ़ दिया।
उस योद्धा को प्रणाम, जिसने कभी ढाल, कभी भाला बनकर अपने संतान की आँखों से नीर हर लिया।
वो शक्तियां, जो आपके साथ भर से ला देती है सौभाग्य, उनको प्रणाम।
मैं खुद जब अपने आप को समझ नही पाऊँ और तुम चेहरा पढ़कर ही बता दो, उस जादूगर को प्रणाम।
Pragya Jain☺
Comments
Post a Comment