रात कुछ खत्म होता हुआ बताती है, दिन का खत्म होना या कुछ करने का समय खत्म होना । जबकि सुबह शुरुवात का प्रतीक है ,इसलिए सुबह खुशी देती है । और सुबह की सैर में किसी का साथ कभी कभी नही भाता , क्योंकि किसी और कि सुनने में , खुदकी आवाज़ कहा सुनाई पड़ती है । रास्ते भी ज्यादा समझ आते है जब सिर्फ खुद का साथ हो । ऐसी ही एक सैर पर, इंदौर में एक सुबह उठने से "दो घंटे" बाद तक " मैंने मुझसे क्या कहा ".... सुनिये उन दो घंटो की कहानी - सुनो सुबह हो गई , आंखे तो खोलो , तुम जब आंखें खोलते हो , रात देख कर फिर सो जाते हो ; सुनो ,अभी चिड़िया...