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Showing posts from October, 2020

मैंने मुझसे क्या कहा.....

रात कुछ खत्म होता हुआ बताती है, दिन का खत्म होना या कुछ करने का समय खत्म होना । जबकि सुबह शुरुवात का प्रतीक है ,इसलिए सुबह खुशी देती है  । और सुबह की सैर में किसी का साथ कभी कभी नही भाता , क्योंकि किसी और कि सुनने में , खुदकी आवाज़ कहा सुनाई पड़ती है । रास्ते भी ज्यादा समझ आते है जब सिर्फ खुद का साथ हो । ऐसी ही एक  सैर पर, इंदौर में एक सुबह उठने से "दो घंटे" बाद तक " मैंने मुझसे क्या कहा "....  सुनिये उन दो घंटो की कहानी -       सुनो सुबह हो गई , आंखे तो खोलो ,                               तुम जब आंखें खोलते हो , रात देख कर फिर सो जाते           हो ;                                                                             सुनो ,अभी चिड़िया...

पर्वराज

शुरुवात एक  बात के साथ,  जो मैंने कुछ दिनों पहले ही सीखी है । "  धार्मिक (Spiritual) होने का अर्थ ,वास्तव में  जीवन के उतार-चढ़ाव में ठहराव बनाएं रखने की कला है।"    कह सकते हैं ,की  चाहे  मनचाही परिस्थिति या संगति ना हो (विसंगति हो), पर उसमें भी संगति बनाकर चलने का अभ्यास प्रकट कर लेना (जहा आपकी परिस्थिति आपको बदल नही देती , आप खुद को जानते हैं , " खुद में ही रमे रहना ")धार्मिक होना है ।      इसलिए धार्मिक क्रियाओं का जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ रहा है, उसका ज्ञान होना चाहिए क्योंकि उद्देश्य जीवन में बदलाव लाना है। पर्वराज :-  जैन धर्म में एक पर्व मनाया जाता है, जो सबसे बड़ा पर्व है ,पर्व राज पर्यूषण पर्व (गणेश उत्सव के 10 दिन)। 10 दिनों में 10 अलग-अलग धर्मों की पूजा की जाती है । इसीलिए इसे दसलक्षण महापर्व  भी कहते हैं ।इस पर्व की बात मैंने "कहानी :बहुतो में से एक सपना पूरा होने की "ब्लॉग में भी की है।।                                  ...